आंचलिक पत्रकार : सितम्बर 1981 से जारी संवाद का सिलसिला . जनसंचार माध्यमों और विज्ञान संचार पर एकाग्र मासिक आयोजन . हिंदी भाषा में पत्रकारिता और जनसंचार, विज्ञान एवं पर्यावरण, ग्रामीण और विकास संचार पर समसामयिक मुद्दों और प्रसंगो पर विवेचना की दृष्टि और विमर्श. नवाचार और नवोन्मेष के लिए तत्पर माध्यम. भाषा और वर्तनी की परिशुद्धि पर विचार साथ ही बोधगम्यता का आग्रह भी. भारतीय भाषाओ में अंतर-संवाद और आदान-प्रदान का सचेष्ट पक्षधर.
भारतीय पत्रकारिता का तीर्थ-धाम. शोध - सन्दर्भ की अनूठी ज्ञान-पीठ. माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान वास्तव में इतिहास का दर्पण है . वर्त्तमान का वातायन है . भविष्य का झरोखा है . यहां अखबारों की इबादत पढ़ते हुए इतिहास के रूबरू होने का रोमांच अनुभव होता है . शब्दों और विचारो की विपुल सम्पदा का रक्षक . ऐतिहासिक दस्तावेजों के संग्रहण तथा शोध संचार की नवाचारी पहल का अप्रतिम उदहारण . पांच करोड़ पृष्ठों का दुर्लभ संग्रहण .
"भारतीय पत्रकारिता कोष" शोध की प्रमाणिकता का साक्ष्य है . वरेण्य संपादक इसे भारतीय पत्रकारिता का पुराण कहते है . हिंदी में भारतीय पत्रकारिता का पहला सन्दर्भ ग्रन्थ . पहला सम्पादकीय, भारतीय पत्रकारिता नीव के पत्थर, स्वामी श्रद्धानन्द और उनका पत्रकार कुल, माधवराव सप्रे रचना संचयन, नारायणदत्त मनीषी संपादक, खबरपालिका की आचार संहिता, मध्यप्रदेश में पत्रकारिता : उदभव और विकास ....एक पूरी श्रंखला पत्रकारिता के पुरखो के प्रेरक कृतित्व के मूल्यांकन की. साथ ही समसामयिक घटनाक्रम के परिप्रेक्ष्य में पत्रकारिता के दायित्व निर्वाह की जरूरी पड़ताल भी.
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